एक शोकगीत
मूल अंग्रेजी कविता: पी बी शैली
हिंदी रूपांतरण रजनीश मंगा द्वारा
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ओ विश्व! ओ जीवन! ओ समय!
जिसके अंतिम छोर पर मैं हूँ खड़ा,
कांपता हूँ वहाँ स्थिर जिस जगह पहले खड़ा था;
लौट कर आयेगी कब वो शान पहले सी तुम्हारी?
और नहीं- ओह! और अब बिलकुल नहीं!
रात और दिन के बीच से
हर्ष इक उपजा नया है;
नव वसंत, नव ग्रीष्म, और ठिठुराया शिशिर
वेदना से शिथिल मेरे हृदय तू ये देख ले, किंतु क्या उल्लास होगा?
और नहीं- ओह! और अब बिलकुल नहीं!
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