अपने तसव्वुर में जीने दे और (गीत)
तेरी हर अदा से छला जा रहा हूँ.
आतिश-ए-दिल बुझा दो जला जा रहा हूँ.
कि सहरा में तनहा चला जा रहा हूँ.
मुझे और पीने दे पीने दे और, कि अपने तसव्वुर में जीने दे और.
मुझे चाँद से ना सितारों से काम.
मुझे गुलिसतां ना बहारों से काम.
अगर हे तो तेरे इशारों से काम.
यही बात सीने से निकलेगी और, कि अपने तसव्वुर में जीने दे और.
मुझे तुमसे कोई भी शिकवा नहीं.
रहे सामने इतना भी कम नहीं.
अगर बात ना हो मुझे ग़म नहीं.
रही कोई हसरत ना सीने में और, कि अपने तसव्वुर में जीने दे और.
रहे दूर मुझसे तो ये भी कबूल.
महकते रहेंगे सुर्ख यादों के फूल.
हुयी जाने क्योंकर ये मीठी सी भूल,
निगाहों से आज मुझे पीने दे और, कि अपने तसव्वुर में जीने दे और.
– – – – –
(Faridabad, India)
(November 26,2014)
Leave a Reply