गीत
मैं भूखा हूँ भैया पहले…
मैं भूखा हूँ भैया पहले रोटी का प्रबन्ध करो.
फिर प्रगति के एजेन्टों से जो जाहे अनुबंध करो.
मुझे तुम्हारे संगठनों से राजकाज से काम नहीं.
और भाषणों की छाया में लेना है विश्राम नहीं.
बात अगर करनी है तो मेरे मतलब की बात करो,
कान थके कर्तव्यों का ये थोथा रोना बन्द करो.
मैं भूखा हूँ भैया पहले – – – –
कितने वाद गए आये हर वाद से वाद विवाद किया.
हर वाद नयी आशा लाया हर वाद ने पर बर्बाद किया.
यह स्थिति भयंकर होती है जिसमे कोई अपवाद नहीं,
इस प्रबल यंत्रणा से मुझको तुम पूर्णतया निर्बन्ध करो.
मैं भूखा हूँ भैया पहले – – – –
आचार संहिता को इंगित कर मेरा कंठ दबाओ न.
नाम विसंगतियों का ले कर मेरा नाम मिटाओ न.
अनुशासन मुझको भी प्रिय है पर उसकी सीमाएं हैं,
मूल जरूरत के दर्शन को खोलो न कि बन्द करो.
मैं भूखा हूँ भैया पहले – – – –
– – – – –
(Faridabad, India)
(December 13,2014)
The poem was composed on November 11,1977 at CHURU (Rajasthan)
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