खुश्बू
शनिवार, २० अक्टूबर २०१८
मेरी आवाज को ना दबाओ
बस शांति से सुने जाओ
यदि आप कुछ ना कह पाओ
बस अपने को सम्हालते ही जाओ।
मेरे जीवन में उलझने ना पैदा करो
जो है उसका सामान करो
मेरे जीवन में और तरंगे पैदा ना करो
ख़ुशी से आओ और मिला करो।
मुझे बस समालो और बाते करो
जीवन की पहेलियाँ मिटाया करो
बस उसमे कोई और रंग ना मिलाया करो
सही जिंदगी का मज़ा लिया करो।
माना किहम खुद्दार है
अपनी जिद पर कायम भी है
पर मुकाम हम दोनों का एक ही है
साथ में चलना और साथ में रुकना भी है।
जीवन का दुसरा नाम ही है संघर्ष
स्वीकार लो उसे सहर्ष
यदि सब सही चल गया तो क्या रह जाएगा?
जीवन की क्षुस्बू को हमेशा मिटा जाएगा।
हसमुख अमथालाल मेहता
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