भाई-भाई
बुधवार, ३० अक्टूबर २०१९
हमारा कितना पतन हो गया है?
हमारे खून में धिक्कार का वास हो गया है
एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए है
धर्म के नाम पर निर्दोषो के खून बहाने लगते है।
धर्म के नाम पर बंटवारा
गरीब इंसानो को मारा
कोई नहीं था बाहरी
बस देहाती था या शहरी।
आज भी देखें
हमने बहुत धीरज के फल चखे
राम रख उसको कौनचखे
अपनी आत्मा को टटोले और परखे।
हम अपने आपको भूल गए है
सिर्फ बाहरी दिखावा करते है
भाईचारा होने का छद्म भेष धारण करते है
और विष फैलाने का काम करते है।
धर्म अपना निजी मामला है
सब को अपना विश्वास रखना है
जब सबको भाई-भाई मानते हो!
तो फिर विषैला वातावरण क्यों करते हो?
हसमुख मेहता
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