चिराग
शनिवार, २० अक्टूबर २०१८
ना आलापो ये राग
इसमें पद जाएगा भांग
मिलाओ इसमें ख़ुशी के रंग
सब कोइचल लेंगे साथ आपके संग।
ज़माना किसी का नहीं हुआ
बस उसीका हुआ
जिसके पास ऐश्वर्य है
पैसे की ताकत है।
ना करो इतना गुमान
की ना रहे आपका मान
लोग करते रहे अपमान
और आप खुद ही गाते रहे अपने ही गुणगान।
पता नहीं ये दिया कब बुझ जाएगा
कब झगमगाती रौशनी को ले डूबेगा
अन्धेरा तो छाएगा ही
पर नाम भी मिटाके जाएगा
हवा चली तो चली
उसने किसीकी ना सुनी
चिराग बुझते जाएगी
हम बस जलाते जाएंगे।
हसमुख अमथालाल मेहता
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