खिली खिली सी रहो।
पल में रुलाती
पल में हंसाती
तेरी याद ही तो है
एक ही सहारा तो है।
मुझे नहीं मालूम
क्या होती है रसम?
बस मुझे लगाव हो गया है
एक रुझान सा हो गया है।
मुझे चाँद भी बेईमान लगता है
उसकी चांदनी से भी अब तो डर लगने लगा है
पर सच तो यह है की उसके जैसा ईमान किसी के पास नहीं
क्या नजारा होगा आगे मुझे इसका पता नहीं!
एक नशा सा छाया रहता है
बस एक शक्ल दिखाता रहता है
में कभी चेहरा देखता हूँ तो कभी आयना
पर कभी समज में नहीं आता है मायना।
अब तो दूर से ही देखते बनता है
दिल अंदर से जलता रहता है
राख के ढेर में फिर भी शबनम का सपना है
दुःख, सुख, चेन और दर्द सभी ओ अपना है।
में चाहता हूँ हसीं पल गायब ना हो
बस गुलाबी चेहरा हमशा सामने हो
खुद हंसती रहो और हमें भी हंसाती रहो
चमन के फूल की तरह तुम भी खिली खिली सी रहो।
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