सपनो के इस संसार में
मुझे पास बुलाले, अब दिल यहाँ लगता नहीं
दिन छोटा, रात लम्बी है पर कटती नहीं
मुझे आसमान छोटा लग रहा है, अपने मकाम पर
कुछ अच्छा लगता नहीं, मरहम लगाने पर।
तेरी हर बात मुझे अब याद आती है
मानो बस कल की ही तो बात है
‘खाना खाओगे ‘कहकर मन को लुभाती थी
सादे कपड़ो में बहुत सुहाती थी।
उसकी हर बात मानो, एक लकीर सी थी
एक बार खिंच ले तो फिर हटती नहीं थी
में चुपचाप उसमे खोया रहता था
नींद आने पर खूब सोया करता था
आज वीरानी सी छा गयी ही
मुझे छोड़ बीच भंवर, वो कल की बात हो गयी है
में किसे कहूँ दिल की बात, और थोड़ा सा रोलू
कैसे समलूँ अपने आप और सम्हालू।
अब सच लगता है लोगो का कहना
‘संग संग रहना और कभी ना बिछड़ना ‘
मुझे क्या पता था वो साथ छोड़ देगी?
मुझे रोता पीछे छोड़कर चल पड़ेगी।
ना रोते बनता है ना सहते बनता है
ज़माना मुझे एक संताप की सगड़ी लगता है
यहाँ लोग ज़िंदा सेके और सताए जाते है
समय आने पर सब रोष के शिकार होते है।
नहीं रह पाउँगा अब ज्यादा इस संसार में
बस घूमता रहता हूँ खाली पिली और बेकार में
मुझे कोई अपना दीखता नहीं इस मझधार में?
नैया को फिर भी बहना है सपनो के इस संसार में
रोना मुझे अब अच्छा लगता नहीं
पाँव पर खड़ा हूँ पर अब मरता नहीं
मुझे जीना है अब दूसरों के लिए
ख़ुशी बांटना है बस सबके लियें।
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