हमारा अंगीकार करना है
वो पास थी फिर भी पसीना छुट रहा था
मिल ने की लगन थी फिर भी में टूट था
दूर होती थी तो मानो अजीज खो गया लगता था
महोब्बत में मुझे बहुत ही पसीना छुट जाया करता था
आज वो बहुत ही नजदीक है
संमज जो बगल में और सटीक है
मंद हवाका झोका मदहोश कर रहा है
पर ना जाने क्यों होश भी ठिकाने नही रह रहा है?
डर इस बात का रहता है की वो कुछ जान ना जाए!
कहीं इधर उधर से सुराग का पता न लग पाए
येही सोच आ जाने से में ठंडा पड जाता हूँ
सर्द मौसम होते हुए भी पसीने से नहां जाता हूँ
गभराना मेरी फितरत नहीं
अनजाने में कोई शरारत नहीं
प्रेम किया है कोई गभराहट भी नहीं
पर ना जाने आज मुझे राहत क्यों नहीं?
मेने सोचा धीरे से कह दूंगा
पर मन में डर को दबाये गुंगा भी नहीं रहूंगा
उडते हुए परिंदे को में वश में कर लेता था
पर यहाँ उसका आना जानलेवा साब़ीत हो रहा था
‘जानम’ अब तो हम है आपके है सनंम
बस एक ओर खा लेते है कसम
आज के बाद कोई जीवन में नहीं
उसके पहले की कोई किसी की याद भी नहीं
‘बरखुरदार’हमें पता चल गया था
खबरदार करने के लिए ही बुलाया गया था
चलो जब आप शरणागत स्वीकार कर रहे हो
तो हम भी अस्वीकार कैसे कर सकते है?
‘जान बची लाख उपाये’ मैंने ठंडी सांस ले ली
उसके हंस दिया और हमने भी बात कह ही डाली
अब तो हमें साथ साथ रहना है
कहो अब और आगे क्या क्या सहना है?
‘नहीं जी’ ऐसा हम कैसे कर सकते है
बस आप स्वामी बनकर रह सकते है
हमने आपको दिलोजान से स्वीकार किया है
बस अब तो आपने ही हमारा अंगीकार करना है
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