मेरी कलम
Friday, May 11,2018
7: 34 AM
तूने तो अपना काम कर दिया
मेरे दिल को चकनाचूर कर दिया
आदत तो हमारी थी
हमने माना था, तुम तो हमारी थी।
मैंने हमेशा तुझे दिल से चाहा
तेरी हर बात को दिल से सूना
कोई बात नहीं थी जिसे हमने ठुकराया
दिलोजान से तुझे अपनाया।
आपने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा
मेरे लिए छोड दिया सब लेखाजोखा
कोई कसार नहीं छोड़ी, देने में धोखा
उनकी ये मुस्कराहट को मैंने कभी नहीं देखा।
हमने भी दिल को मना लिया
उनहोंने तो बदला ले लिया
हम कौन सी बात याद रखे और कौनसी भूले?
झेलना है तो हमने ही अकेले!
याद तो आता है
और दुखी भी कर जाता है
पर मन नहीं मानता है
अपने आपको कोसता रहता है
अब तो हर बात पुरानी हो गई है
जीवन में वीरानी सी छा गई है
कोई रंगीन फूल अब नहीं खिलेगा
मेरी कलम अब कोई भी किताब नहीं लिखेगा।
हसमुख अमथालाल मेहता
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