मायूस बनाकर
शुक्रवार, ३० अगस्त २०१९
नहीं मिलती सबको अपनी जगह
कुछ तो रहती होगी उसकी वजह
अपना वजूद सब ढूंढते है
जिसे मिल जाए वो खुशनसीब मानते है।
सुबह होती है और शाम भी
पर नहीं हॉट काम हम भी
आँखे ढूंढती रहती है
किसीको अपना बनाना चाहती है।
मिल जाए तो किस्मत के सिकंदर
हो जाती जगह जगह कदर
ना मिले तो बदनामी का भंवर
रहना पड़ता है सम्हलकर।
कल का नहीं मुझे मालुम
पर चिंता सताती हरदम
ये दिन तो यूँही कट जाएगे
हमें बस मायूस बनाकर छोड़ जाएंगे।
हसमुख मेहता
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