बेवफा बनाया
Friday, December 29,2017
10: 42 AM
बेवफा बनाया
में हिरनी की तरह भागती रही
ना मिला चेन, फिरभी दौड़ती रही
जब फूल गयी सांस तो पेड़ के नीचे बैठ गयी
आकाश को देखते देखतेआँखे नाम हो गयी।
क्या प्यार अँधा होता है?
न दिन और रात का पता रहता है
मन बेचैन और मिलने को तरसता है
ना मिलो तो आँखों से आंसू बरसाता है।
प्रेम नाकरियो कोई
आगे कुछ नहीं देख पाई
में बिरह की मारी हो गई जोगनी
अंध्रेरे को अपनाया और ढूँढू रौशनी।
ये नहीं है कोई कहानी
पर केहती रेहती है दिल की लगनी
लोगों को खूब है परेशानी
वो क्या समझे जज्बा इंसानी।
प्यार एक गहरा समंदर है
जो भी हो वो मन के अंदर है
नाच नचाया कुदरत ने
बेवफा बनाया फिरभी हालत ने।
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