नहीं सिखाता
रविवार, १ सितम्बर २०१९
क्या चाहा है आपने?
क्या सोच कर चले हो क़त्ल करने?
किसी बेगुनाह को यूँही गोली मार दोगे?
अपनी आत्मा को नहीं पूछोगे?
कोई मजहब ये नहीं सिखाता?
ये कैसी है धर्मान्धता?
ये कैसे है आपकी मान्यता?
क्या मार देना ही है मानवता?
बहुत सह लिया सालों तक
अपने हम वतनवालो को ही बेघर कर दिया
चुन चुन कर वतन में ही निराश्रित कर दिया
अब तो एक ही वतन और एक ही झंडा निश्चित कर दिया।
ना होगा कोई दखल
और ना होगा कोई क़त्ल
पुरे अवसर मिलेंगे तरक्की के लिए
ये बात पक्की है सब के लिए।
ना होगा आपका मंसूबा सफल
आनेवाली सुनहरी होगी कल
हमवतन और हमसफ़र
देश को होगा हमपर फ़क्र।
ना कोई गैर होगा और नाही चहेता
विश्वास और अमनचैन बढ़ेगा
थोड़े दिनक्या तकलीफ हुई, शोर मचाने लगे?
सोचा जिनका अपना नहीं लोटा वो क्या सोचते होंगे?
हसमुख मेहता
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