दिल के तो है अमीर
दिल पसीज जाता है
जब मौक़ा सामने आता है
ये आँखे मजबूर कर देती है
जब सामना हो जाता है।
उस समंदर में तैरने का मन करता है
लहरों पर उठकर पटकाने का दिल करता है
टीस सी उठती है और हैरान कर जाती है
बस तू एक ही तो है जो परेशान करती रहती है।
नहीं चाहा मन को ज्यादा कुरेद ना
कभी बही चाहा फरेब करना
बस युही दिल के झरोखे से झाँक लिया
और अपने सिंहासन पर आरूढ़ कर दिया।
दिल है की मानता ही नहीं
शक्ल भी बराबर याद नहीं
फिर भी परेशान करती रहती है
मेरे दिल को बाग़ बाग़ कर देतीं है।
नहीं चाहता मैं वो भी ऐसा महसूस करे
पर दिल की लगी को कौन मायूस करे
हम है एक नाचीज़ इंसान जो कदर करते है
सब को अपना समजकर आदर देते है।
तुम न भी कह दो ना धीरे से
ना रखो कोई भी परहेज हमसे
हम पैसेवाले इतने ना सही
पर दिल के तो है अमीर सही।
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