जनाब दिल तो फिसलता है
जनाब दिल तो फिसलता है
कभी वो मुड को ठीक भी करता है
पर अब ये सब दिखावा है
पर मुझे इसपर काफी शिकवा है
वो कहा क्यों नहीं मानता है?
क्यों उसे फुल ही अच्छे लगते है?
क्यों जनाब गुलाब देखकर मंडराने लगते है?
असल में मानो हमारी कुछ हैसियत ही नहीं रखते है
खेर मचलना उनका काम है
उनपर काबू पाना हमारा काम है
हम उनकी हर बात मान नहीं सकते
अपने आपको सब के बीच गीरा नहीं सकते
हम भी मानते है हुस्न की क़दर करना चाहिए
वक्त आने पर दूर से ही तसल्ली कर लेनी चाहिए
जब आप हर चाही चीज़ को पा नहीं सकते
तो उसके पीछे पागलपन दिखाना हम कुबूल नहीं कर सकते
जनाब हम कोई ऐरे गेरे तो है नहीं
जब भी कुछ देख लिया बस मान लिया सही
दुम हिलाने लगे और कर दिया हिन् साबित
हम भी दिखा देंगे की हम भी है काबिल
दिल हमारा भी तरसता है
जैसे बादल जी भरके बरसता है
कौन नहीं चाहेगा अपने अरमानों को पूरा करना?
अब आप ही बताये हमें क्या है करना?
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