जनाजा ही निकाल दे
मेरी आवाज चीख चीख कर कह रही है
मुझे उसकी चिंता बार बार सता रही है
क्यों कोई दुशाशन मेरी माके वस्त्र खींचने पर आमादा है
क्यों हमने उसे माफ़ी देने का सर्वदा वादा किया है?
मेरे देशवासी आप गोर से फरमाये
कितने ही फूल हमारे है मुरजाएं
सैनिको कि तादात जानबूजकर कम राखी जा रही?
मेरे देश कि येही कमनसीबी मुझे सता रही।
देश का सेनापति ये चीज़ सार्वजिक बतलाता रहा
देश का रक्षा मंत्री ये नए सिरे से नकारता रहा
हो सकता है उसका ये तर्क रहा हो
‘देश की जनता मुर्ख है’ उसका डर उसे ना सता रहा हो
देश को जान बूझकर बर्बाद करना हो तो कोई टिपण्णी ना करो
करीदफ़रोक में कभी आनाकानी ना करो और अपनी जेब भरो
कोई देशद्रोही सैनिक सामान की निशानदेही करता है तो अनदेखी करो
चाहे कितने भी सैनिक मरे बस लापरवाही बरता करो।
देश को अंदर से खोखला कर दो
सेना को सामना करने का मनोबल ही तोड़ दो
कैसे लड़ेंगे बिन साजोसामान
बस होगा साथी धरती और आसमान।
मरना और कट जाना जानते है जवान
बस नहीं खोलते अपनी लूली जबान
देश के जज्बे का पढ़ाया गया है जो पाठ
बको देखो चोर राजकारणीयों के ठाठमाठ
आप गोर फमाये और विशेष ध्यान दे
दो पनडुब्बियोंका शिकार हो चुका है
हेलीकॉप्टर का सौदा रद हो चुका है
देश का ध्यान कहीं और बता जा रहा है
सब लोग ताक लगाए बैठे है
अभी मालवाहक जहाज सी- 130 का खात्मा करके बैठे है
बम्बई पर हमला अभी ताजा ही है
उनका बस चले तो ये देश का जनाजा ही निकाल दे
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