ख्वाइश भी मर चुकी है
न मिला मुझे आशियाना
में हो चुका था इश्क का परवाना
हर चीज़ में मुझे उसकी महोब्बत नजर आती थी
ये पगला क्या करता हर अंजुम में उसे उसकी खुश्बू आती थी?
खुदा ने बनाया है मुझे प्रेम करने के लिए
बाँटने के लिए और गले लगाने के लिए
मुझे हर पल हर दिन वो याद आता है
जिसका भी चेहरा देखू उसमे मुझे ‘वो’ ही नजर आता है
यूँ तो नफरत भरी इस दुनिया में महोब्बत की कमी ही है
हर शख्स की नजर में गेरियत छलकती रहती है
पर मुझे क्यों ये सब नजर नहीं आता?
हर शख्श मुझे क्यों है पाक लगता?
यारो मुझे मिटा देना यदि कही खोट नजर आ जाये
मेरे लडखडाते पाँव में कहीं नापाक इरादा सामने आ जाये
कर देना मेरी हालत खस्ता यदि में अनजाने में सच भी कह दूँ
‘क्या करू मुजसे रहा नहीं जाता’यदि यह भी में आपको बयां कर दू
पत्थर मारना इस इन्सान की नाफ़रमानी के लिए
ना करना दुआ और ना करना दवा बेईमानी के लिए
बस दो गज जमीं का इन्तेजाम कर देना
मुज जैसे इंसान को प्यार से दफ़न कर देना
में गाता रहता हु उसके गुण
मुज में फिर भी रहें है काफी अवगुण
क्या करू प्रेम करना आदत सी हो गयी है?
आप से रुख्सद लेने की ख्वाइश भी मर चुकी है
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