उसकी ये सजा है
इतने रहे हम साथ, फिर भी जान ना पायी
जब भी मिले हम रात मे, में खोयी रही और शरमाई
उनका पहला प्यार था, और मैंने ली अंगड़ाई,
मांगी दुआ हमने रब से, मुश्किल से जांन छुड़ाई
मे मुस्कुराई हलके से और पीछे छोड़ आई
हवा मे गूंजती रही, वचनो को भरमाई
उन्हों ने बोला प्यार से, फिर क्यों यहाँ तू आई?
मैं ने कहा बस यूँ ही, मतलब समजाने आई।
भला अब तो मे पछताई, नापी दिल की गहराई
उसने भी तो की थी, छलकपट और चतुराई
फिर भी ऐसा क्या था की दिल को मना ना पायी!
प्रेम की लगी थी ऐसी, शर्म से कह ना पायी
अब बारी थी मेरी, तू चोट लगाके चल दी
मेरे दिल को खिलोना समजी, और पल छीन ली ,
अब आगे से सोच के आना, फिर ऐसे ना करना
अब की बार ना छोड़ूंगा, यदि भरना पड़ेगा जुर्माना
मैंने तो चल दी थी, पर काँटों में जोर से चुभ ली
मेरे दिल ने कहा सुन ऱी तूने गुस्ताखी है कर ली
ऐसे दिल कभी तोड़कर ना कोई जाता है
तूने झुल्म किया है ऐसा उसकी ये सजा है
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