आप के मान में
बस तु ही तो है ख्वाब भी
शान भी और शबाब भी
में सोचु हरपल तेरे लिए
जीना भी है यहाँ बस तेरे लिए।
कैसे बताऊ दिल का हाल?
दिन कट रहे है बड़े बेहाल
कभी पूछ लिया भी करो!
धीरे से कहो ‘धीरज धरो’
कैसे हुई आँखे चार?
में कैसे बताऊ बारबार
आप न रखे कोई दिल से अपना सरोकार
फिर भी हम कहें आप का है उपकार
बहार का आना कोई नयी बात नहीं
फूलों का खिलना आम बात है ही नहीं
गुलाब का फूल सब में पाना, संजोग ही तो है
हम कहे नसीब सही, वियोग भी तो साथ है।
उनका खफा रहना लाजमी है
हम भी तो बिखर एक आदमी है
‘बेतहाशा प्यार करते है ‘फिर भी सादगी है
खुदा से कहे हम ‘हमारी ये बंदगी है ‘
सपने तो उन्होंने भी, खूब संजोये होंगे
हमारी याद में वो भी खोये खोये रहे होंगे
कैसे जाने उनके दिलका, अरमान क्या रहा होगा?
हमने भी पूछ लिया है, अब हमारा क्या होगा?
वो पलभर भी हट ते नहीं, आँखे भी बंध होती नहीं
सपने भी आना चाहे तो, पलके भी सोती नहीं
कह दो धीरे से कान में ‘थोडा इन्तेजार करे ‘
बस आ जाय वो पल तो, उसका इकबाल जरूर करें।
न हमें हाँ कहने बनता है, न जुठ्लाते
बस रातें कट जाती है ‘यूँ ही याद करते करते ‘
लिख लेते है कोई नजमा, आपकी एक शान में
बस रख लेते है एक बात हरदम आपके मान में
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