मा
गजानन मिश्र
सभे नेइ मरि
मरिछे मा।
मरिछे मा
आरु पडिछे
दुआरे ।
दुआरे
पुओ झि
सभे गालिमाड
काॅ हेला जे!
हिसा अहंकार
काॅ काजे!
झने बलुछे
मुइ करिछे एतकि
आरुझने कहुछे
मुइकें किछु नेइ करि!
एतकि सेतकि मोर
चाल, आमे भाइ भाइ
माके देमा पुडेइ ।
बॅटा करमा घर बाएर
नेइ छिडले नेइ छिडु
पद पदबि।
बड किए
नेइ पचराबार किहे ।
छुआ सभे हे गुटे।
केए नेला केते
किए देला केते
जानिछन जाहारटा जिए।
मतलबी सभे
घिचा उलटा करि
मारिनेमु बलुछन खालि ।
किए मुड, किए कएलजा
किए पुटा फुस फुस
खातिर नेइ
मा हउ पागलेन
कि मा मरु ।
मा मरिछे
आरु सभे
उतका डेगा
दुआरे,
गला काहिं
पिताखिआ!
केतेअछे खुज
केते किए खेइछे
सभकरसाम्ने कह ।
माके जेन मारिछे,
पागलेन हेबार कि
मरबार कारन
हेइछे जेन
भललोक बलुछे हे ।
डरेइदेमि बलुछे
पागल कुकुर बागिर भुकि भुकि
नेइ तो कुलिहा बागिर
भीतरी खेल खेलि खेलि ।
मरिछे
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