बड़ी दिलचस्प है
अपनी कहानी
जिया क़िरदार तो
इसे पहिचाना
ख़ुदी के बिना
जिया तो क्या जिया
जो ख़ुद से जिया
समां बदल दिया
कृष्ण का क़िरदार
उसकी ललकार है
गोवर्धन का उसमे
सम्मान सत्कार है
ईसा चढ़े थे क्रॉस पे
औरों के लिए परिहार
करोड़ों लोग ने उनके
पथ को किया स्वीकार
गाँधी ने उठाई थी
न बन्दूक, न तलवार
दिला दी थी आज़ादी
हम न पाए संभाल
ये ज़िन्दगी उसी की है
जो औरों के लिए जिया
जो अपने लिए जिया
वो भी है क्या जिया! ! !
Leave a Reply