मुझे ले चल वहाँ
मुझे ले चल वहाँ
दिल लगता तेरा जहाँ
मेरा कोई ठिकाना नहीं
बस चलना तेरे संग सही।
शागिर्दी में कोई गम नहीं
थामा है हाथ दिलसे, गिला तो नहीं
क्यों रोये हम उस हालत से
जिसकी हमें आदत नहीं।
में देखु हर पल आँख गड़ाएं
मन में सोचु आस लगाए
मेरा जीना सफल आज हो गया
घने बादल से सूरज निकल गया।
चल चल वहाँ मुझे ले चल
ना कर नाराज और ऊपर से छल
मेटो ढूँढू तुझे हर आस और पल
तूना छीपा अब भीगा आँचल।
कर लूँगा मन को आज मक्कम
टिके रहना अपनी बात में हरदम
मैं अनाडी प्यारको क्या जानु?
तू है सन्नारी और ऊपर से बानु।
प्यार मेरा कोई नया नहीं
मुझे क्या पता तुजे भाया या नहीं
मैंने हर कदम पे पेश कर ही दिया है
अब पाना और दिखाना सोच ही लिया है।
कर लेना सितम चाहे करना चाहो
ठुकरा देना या भरलो बाँहों
मुझे गम ना होगा यदि पा ना सकूँ
शुकून मिलेगा यदि बात कर तो सकूँ ।
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