जन चेतना के लिए उठी है अवाज
शहर व गाँव के हर कोने मे पहुँचा कर रहेगे
भ्रष्टाचार का अर्थ समझा कर रहेगे
भ्रष्टाचार को मिटा कर ही चेन की सांस लेगे 11
बेल की तरह बडती महगाई
कही पर सूखे की मार
तो कही पर बाढ मे डूबती जन मानस
या फिर नारी का शोषण व तिरस्कार का प्रश्न 11
अधिकार के साथ उत्तरदायित्व की लो भी जगा देगे 11
माया की तरफ भागती और
जन से दूर होती प्रेस मीडिया
छोड दो माया के ईशारो पर नाचना
चेत जाओ प्रेस मीडिया
जन मानस के करीब आ जाओ 11
असंतोष की मशाल कब क्रांति का रूप ले ले
सबको अपने साथ बहा ले जाए 11
Leave a Reply