मुझे बरसात के पिछले ज़माने याद आते हैं
कि जब घनघोर बादल संग अपने रंग लाते थे
काले, भूरे, चाँदी जैसे, स्वर्णिम, लाल, नारंगी
कभी सूर्य की कोई रश्मि नीचे झाँका करती
पानी लेने जाते बादल कुछ ले कर आया करते
वर्षा के पानी से देखो धरती की प्यास बुझाते
आसमान की बिजली अपना रौद्र रूप दिखलाती
कमज़ोर दिलों की ऐसे में घिग्गी ही बंध जाती.
बरसात के पिछले ज़माने (Hindi)
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