तुम कहते हो, बेवजह मुझको रुलाना नहीं आता
फिर जो दमन छुड़ा कर जाते हो ये क्या है ?
तुम कहते हो, बिना बात मुझको को तड़पना नहीं आता
फिर जो तुम देर से आते हो, बहाने बनाते हो ये क्या है ?
तुम कहते हो, दिल पे काबू है मेरे, दिल लगाना नहीं आता
फिर जो तुम, शरमाते हो, मुस्कुराते हो , नज़रें चुराते हो , ये क्या है ?
तुम कहते हो, रातों को जागना मुझ को नहीं आता,
फिर जो तुम, सितारों का टूटना बताते हो, चाँद से बातें बनाते हो, ये क्या है ?
तुम तो कहते कुछ और हो और करते कुछ और
अब ज़रा ये भी बता दो की क्या हमसे प्यार निभाना आता है
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