सूरज तो निकल गया है
अंधकार भी छटने लगा है
मुर्गे ने बाँग दी है
पंछी भी जाग चुके हैं
शुरू होने लगा है
अब गीतों का रेला
मानव तू भी जाग जा अब
छोड़ निंदिया की बेला
सपने तूने बहुत देखे है
अब पूरा करने का वक़्त है
चल बेड़ियों को तोड़ दे अब
आज़ाद होने का वक़्त है
ये रात जो अब बीत गयी है
ले गयी दुखों की बारात
इस सुबहा से शुरू होगी अब
खुशियों की बरसात
सोच को अपनी नयी दिशा दे
मेहनत करता जा
जब भी तुझ को फल मिलेगा
जीवन सफल होगा
Leave a Reply