हंसी के फवारे
दूर से देखते ही बनता है
चेहरा मुस्कुराता है
दिल में हंसी के फवारे फुट रहे है
दिल के अल्फ़ाज़ कुछ ऐसे ही अंदाज़ दे रहे है।
फूल तो गए बिखर
आप कैसे रहे बेखबर?
कुछ तो सोचा होगा नजराने के लिए!
हमारे पास कुछ नहीं दिल मनवाने के लिए।
कोई पूछे गुलिस्तां से
तो जवाब आएगा आहिस्ता से
‘नहीं में शर्मा जाउंगी’
एक लब्ज़ भी ना कह पाउंगी।
हम ने तो हंसी में ही उत्तर पा लिया
जो कुछ कहना था वो भी कह दिया
आप रहे मस्त अपने विचारो में
हमतो शर्म कर गए आप के अधरो में (होठ)
हम लगे बेतहाशा आपको ढूंढने
नज़ारे ही ऐसे थे की कुछ ना कहे
बस एक संवाद की ही कमी थी
नजरों में अंदाज़ था और हंसी में हामी थी।
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