सिरोपा
सिरोपा
सिख धर्म का सरपाव
मरहम हर घाव पर
जब आदमी मथ्था टेकता है गुरू के पाँव पर।
हर धर्म हर और गुरु यही सिख देता है
उसके दरवाजे खुल्ला रखता है
मथ्था टेकना और मन्नत मान ना सब का अधीकार है
प्रभु को ये सब स्वीकार है।
सिख तो खुद ही शिरोमणि है भारत के
रखवाले, वटवाले और दिलवाले
मर मिट जाने वाले देश की शान पर
तभी तो है गुर की आन सब पर।
किसी को नहीं रोकता
भगवान् भी उसी को दर्शन देता है जो दिल से चाहता
हमें सिर्फ दिली ख्वाहिश रखनी चाहिए
मन साफ़ तो कहीं भी दुआ मांगनी चाहिए।
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