शूली पर भी चढ़ने को तैयार
बाकी सब अफवाह है
आप क्यों अमीर परिवार में पैदा नहीं हुए?
आपका परिवार क्यों ऐश्वर्य में राचा नहीं?
क्यों आपके परिवार ने सच को समुचा ठुकराया नहीं?
इसके बावजुद भी आप चट्टान की तरह खड़े हैं
सभी महारथियों केबाण झेल रहे हैं
वो सब एक तरफ हमले को तैयार
आप भी हो चौकन्ने और रहे हो होंशियार।
विरोधियों को डर है सताता
उनका नहीं खुलेगा खाता
जनता सब जानती है
उनके बोल को नहीं मानती है।
उसके पास समय की कमी है
फिर भी वचन के पक्के और हामी है
कुछ भी काम अधूरा नहीं छोड़ ते है
‘पूरा दिन काम ओर काम’ का ही प्रण लेते है।
ये निस्वार्थ भावना है
उनका वचन लुभावना है
पर उम्मीदों से भरपूर और स्वाद से लबालब
उनकी हर बातों का निकलता है मतलब।
‘नर में सर्वश्रेष्ठ इंद्र’ है आपका है नाम
ना कोई बँगला और रहते बिलकुल गुमनाम
बस एक ही है सूत्र अपनाया हुआ
गरीब की भाषा अपने में अपनाया हुआ।
उसकी हर बात में नुस्ख निकालना
बात का बवंडर खड़ा करना
ऐसा करना था वो क्यों नहीं किया?
बस हमें क्यों पूछा नहीं?
जिसके पास जनता का सैलाब हो
हर गली मोहल्ला देखने को बेताब हो
उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है
जो शूली पर भी चढ़ने को तैयार है।
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