रब सोचे वोही होय
बुधवार, १८ जुलाई २०१८
रब सोचे वोही होय
भले ही गमगीनी लाता होय
मनभावन ना भी होय
पर अंत में अच्छा ही होय।
रब ने बनाई जोड़ी
कोई सके ना तोड़ी
वो ही है हमारे पिछाड़ी
लिए हाथ में छड़ी।
कछुना बुरा होइ
सदा ही सुख लाइ
माँ, बाप भाई और ताई
सब से स्नेह मिलाई।
संसार ना थारो
या कदी होवत मारो
दुःख से भरो जनमारो
प्रभुजी मुझे इस से तारो।
तुम बिन डग बढ़त नाही
दिल में कोई शंका नाही
प्रभु मोरे अवगुण चित ना धरो
इस जीवन को सुखमय करो।
में भटका मारा मारा
पर मिल गई किरपा की धारा
हो गया जीवन सफल मेरा
कैसे ब्यान करूँ “धन्य हुआ जीवन मेरा “
हसमुख अमथालाल मेहता
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