यह दरमियां
यह दरमियां
बन गयी है परेशानियां
बन गयी पहेली और जोड दी कुछ कहानियां
बुझाओना कुछ और पहेलिया।
सुबह होती थी तो याद आता था
वो सुन्दर चेहरा कुछ याद दिलाता था
हमारा चेहरा यूँ दमक सा जाता था
भरपेट मन में हंसी की फुहार लाता था।
कुछ अनबन कभी कभी हो जाया करती थी
वो भी कुछी दिन के लिए गायब हो जाती थी
हम परेशान हुए लम्बी दौड़ लगाते थे
पटरी पे गाड़ी को समझा बुझाकर ले आते थे।
‘नहीं रखना हमें कोई सम्बन्ध आपसे’
वो बरस से पड़े हमपर बिना कोई कारन से
मनाते हमें कुछ महीने और लग गए
इसी बीच में हमें भुलाकर छोड़ गए।
पहेली मुलाकात ही रंग ला गयी
प्यार कि सीडी कुछ युही बतला गयी
हम भी चढ़ते गए उस बादान पर
जैसे पहंच गए नए मकाम पर।
वो न मिलेते तो दिल मचल जाता था
चेहरे पे जैसे मुर्दनी छा जाता था
उनकी एक हंसी हमारा मकसद होता था
गुस्सा भी रहा हो तो रुखसद हो जाता था।
आज मिले है तो आग उगल रहे है
हमें भी अमंगल की झाँखी दिल से करा रहे है
ham फिर भी दिल में जगह बनाये रखे है
कुछ वजह बताने की जिद भी कर रहे है।
आगबबूला हो रहे है सर से पाँव तक
बस बोले जा रहे है रुक रुक
हमारे धेर्य का बांध टुटा जा रहा है
लगता है उनका साथ छूटा जा रहा है
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