मौक़ा दिया जाय
चलो देर से आये पर दुरस्त आये
पिछले सालको सहे दिल से भुलाये
वरना वो सताता रहता और सालभर
झेलना पड़ता उसका बोझ वक्त वक्तपर
हमने भी ठान लीया है कुछ और सोचेंगे
बिना सोचे समझे कुछ और नहीं करेंगे
बात का बतंगड़ तो जीवन में कभी नहीं
कुछ कड़वी मीठी याद आ जय तब भी नहीं
एक दोस्त ने कहा ‘हम दोस्त तो बने रहेंगे’
पर बिचारों का आदान प्रदान नहीं करेंगे
हमने कहा ‘ये अच्छी दुश्मनी है भाई’
फिर क्यों रखना और सोचना ऐसी सगाई?
आप को हाथ दिया तो पोचा पकड लेते हो
अपने बिचार हमारे पर थोप देते हों
हम है कि मन को मना नहीं कर सकते है
आप की करामाती शब्दजाल में फंसते जाते है
अब कि बार हमारा माथा ठनका
उन्होंने लगाया था मण भर का धकका
वो तो समल गए अपने बीचार सामने रखकर
पागल तो हम हो गए उसे थोडा सा सुनकर
हमने भी कह ही डाला
चलो जड़ देते है समय का ताला
आप तीन महीने खामोश रहो
और सुख की नींद लेते रहो
वो सोचते रहेंगे अब दिनभर
हम ने समय सीमा दी है सोचकर
वो चाहेंगे तो दूर ही रहेंगे
हम बस उन्हें दूर से ही देखते रहेंगे
हम बिना बात करे रह नहीं सकते
वो ज्यादा बात करने का परहेज रखते
मेल नहीं खाता उनका हमारे बिचारों से
बस समय काटना पड़ता है बेचारे हो ऐसे
एक बात तो तय है
वो नहीं चाहते हमारे बीच में कोई लय हो
हम भी सोचते है बस ज्यादा न खींचा जाय
उनको ही अपना रास्ता तय करने का मौक़ा दिया जाय
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