मेरी पायल
बुधवार, ३ अक्टूबर २०१८
मन में रूखापन
आकाश का सूनापन
कैसे लगे अपनापन?
आ जाओ ना इसी पल।
मेरी छनकती है पायल
दिल मचलता घायल
कुहुकुहु करती कोयल
में तो हो गइ तुम्हारी कायल
मन ना भटकाओ
और जल्दी से आ जाओ
दिल याद करता पलपल
क्यों करते रहते हो आजकल?
पाँव तो थिरकते है
अपनी गरिमा को चमकाते है
मन के भावों की अभिव्यक्ति करता है
और जैसे साजन सजनी को अपनाता है
हसमुख अमथालाल मेहता
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