बताएं कुछ इल्म
मुझे रुला देती है
पलभर भुला देती है
वो कभी थे भी मेरे जीवन में!
कभी पाँव भी पड़े थे मेरे आंगन में! बताएं कुछ इल्म
शायद ही में सब कुछ भुला पाती
उनकी याद बारबार सताती
कुछ ही पल ऐसा होगा, मैंने याद ना किया हो
यह बीदाई का घुट जैसे मुझे हरबार पीना पड़ता हो। बताएं कुछ इल्म
बहुत रुआब से हम चलते थे
ख्वाब में भी हम ऐसे ही रहते थे
पता नहीं था सपना जल्दी ही टूट जाएगा
मेरी हस्ती को मानो मिटाकर जाएगा। बताएं कुछ इल्म
जीवन में सब चीज़ का आना स्वाभाविक है
हम सब लोग तार्किक और भाविक है
थोड़ी ही देर में रुआंसे हो जाते है
और फफक फफक कर रो पड़ते है। बताएं कुछ इल्म
दिखाते कुछ नहीं पर मनपर भारी पड़ता है
आँसुओको बार बार पोंछना पड़ता है
अपने आप में संगीन अपराधी महसूस करते है
कुछ ना कुछ भूलने की कोशिश करते है। बताएं कुछ इल्म
बेचेनी अंदर से खाये जा रही है
दिल को भीतर से रुलाये जा रही है
ना हो किसी के संग ऐसी बिदाई का जुल्म
किसी के पास हो बताएं कुछ इल्म। बताएं कुछ इल्म
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