प्रेम के राही
Monday, April 16,2018
1: 12 PM
मैंने तो सर रख दिया था
तेरा रुख भी जान लिया था
बस अब तो हमसफ़र ही बनना बाकी था
तू ही तो मेरा साकी था।
मुझे भनक भी नहीं लगी
ना जानी मैंने तेरी दिल्लगी
तेरी रवानगी दिल को सताएगी
मेरे दिल को कौनसीबात मरहम लगाएगी।
तू तो बस ही गया था
मेरे दिल का मालिक बन गया था
हर धड़कन तेरा नाम लेती थी
उसे सुनकर मैं सोती ही कहाँ थी?
ना कर अपनों से जुदाई
और मन से ले विदाई
हर पल नहो होती सुखदाई
मैं तो हरदम रहती हरजाई।
पलट दे समंदर का रुख
तू ना जता अपना दुःख
मेरी आस को ना कर निरास
लोग करेंगे अपना उपहास।
मेरे साँसे टूट रही
मेरी इज्जत लूटी जा रही
में नहीं जानती क्या है सही?
हम तो है सब प्रेम के राही
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