प्रेम का प्रतिक हूँ
में अमर प्रेम का प्रतिक हूँ
किसी कि याद का एक अतीत हूँ
गुनगुनाउ हर फूल पर
सुनाउ प्रेम के गीत हर डाल पर। प्रेम का प्रतिक हूँ
सुन लो मेरा पैगाम
में उड़ता रहु बेलगाम
सबका चहेता प्रेम का देता वास्ता
मधुरस हमेशा चूसता रहता। प्रेम का प्रतिक हूँ
सन्देश प्रेम का है मुझे फैलाना
कइयों के दिल को है मुझे मिलाना
दिल से भरी ये कहानियां
ना बन जाए कभी हैरानियाँ। प्रेम का प्रतिक हूँ
चाहूं में रहना सब के संग
मिलाऊं सब के प्रेम के रंग
मेघधनुष सा तीर बनकर
रेह जाउ बन के हमसफ़र। प्रेम का प्रतिक हूँ
जानूं में ये जीवन क्षणभंगुर है
फिर भी उसमे जान मशगूल है
चार दिन कि चांदनी फिर अँधेरी रात है
‘आज है मेरी तू चांदनी’ बस एक घड़ी की ही तो बात है., प्रेम का प्रतिक हूँ
‘कल हो न हो तू मेरा आज है’
मेरे उडनेका ये ही तो राज है
क्योना उड़ायी जाए मोज मस्ती?
फिर तो उजड़ जानी है ये बस्ती। प्रेम का प्रतिक हूँ
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