दुल्हन के रूप में
बुधवार, २५ जुलाई २०१८
याद आने से बात नही बनती
जब तक प्यार की बोलो नहीं निकलती
आँखों से आँखे बात नहीं करती
और अपना दिली पैगाम नहीं पहुंचाती।
प्रेम का यही दस्तूर है
जो सब को मंजूर है
बस कहने की देर होती है
बाकि तो प्रेम की डोर यूँही चलती है।
प्रेम में सब जायज
सब लिख दो उस कागज़ में
जो स्वयं बोल उठे
और प्रेमपाठ को पढ़े।
पर नहीं होता कुछ भी ख़याली पुलाव से
बात ठहर जाती है, ना कहने से
कोई समज ले अपने आप तो क्या कहना?
प्यार में लग जाय चार चाँद, तो सच समजना।
गिनती ना सही
पर साँसों को भी कहना यही
रुक जाएगी एकदिन जो नहीं आया सन्देश
मिटा दो हमारे दिल का अंदेश।
हम तो बैठे है पलके बिछाए
कभी तो कोई आए हमें प्यार लिए
ना करेंगे मना पर हाँ कह देंगे
अपने आपको दुल्हन के रूप में सजा देंगे।
हसमुख अमथालाल मेहता
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