दुनिया ने मुझे खूब सताया
दुनिया ने मुझे खूब सताया
दिल से जलाया और रुलाया
में आजतक ना जान पाया
ना ही किसी ने मुखे बताया
वैसे में रेहता था शर्माया
दब जाता था जब कीसी ने गुर्राया
में रेहता था मन ही मन गभराया
जब दिल को रास नही आया
‘में जलाकर राख कर दूंगा’
‘हाथ था गया तो धूल चटा दूँगा ‘
मन ही मन में गुस्सा आता
मुझे अपने आपसे दुखी कर जाता।
मेरे सपना पूरा हो ना पाया
जो भी पास था वो सब खोया
जीते जी दोजख देख पाया
हालत देख खूब रोना आया
लोग मुझे देख व्यंग में हंस रहे है
माली हालत पे ताने कसते है
में बेचारा किस्मत का मारा
जीते जी हो गया जान से मरा।
दुःख ढोते ढोते में थक गया हूँ
जमाने ने मारा मुरजा गया हूँ
लोगो ने मेरा इन्तेजाम कर दिया है
जाने के सफर को पुरा कर दिया है।
मेरी चिता को आग लगाएंगे
धीर कानमे कहते जाएंगे
‘भला मानस, पर कुछ कर नही पाया’
‘जाना तो सब को है’ पर जान नहीं पाया
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