दिन के उजालो
तुम मुझ को कहते रहते हो
हम भी उसे सहते रहते है
आपकी नजर में हम है खराब
क्योकि पीते रहते है हरदम शराब।
कभी कभी बेहकनेको करता है दिल
पर फिर सोचते है ‘तू आके मुझसे मिल’
ना मुझे आज की है ना कल की फिकर
मिटाता हूँ गम बस थोड़ी सी पीकर।
शायद कल मेरा हो ना हो
पर तुम तो सदा मेरे पास हो
सम्हालना मेरे कदमो को
झेल लेना सभी सदमों को।
मैंने कभी सोचा ना था!
तनिक बहेक जाऊंगा
पास होते हुए भी
इतना दूर हो जाऊंगा।
वो तो थी कल की एक पुरानी बात
वो ख़त्म हो गयी सारी रात के साथ
अब मुझे गीन आ रही खुद के ऊपर
क्यों ऐसा हो गया थोड़े से पलभर?
अब तो कर दो दिल से हमें पूरा माफ
जिसे हमारा दिल भी हो जाए साफ़
अब ना होगा दोबारा ऐसा कोई वर्तन
आप भी देखेंगे दूसरे रुप में परिवर्तन
हम कहे जा रहे थे और वो मुस्कुरा रहे थे
मन ही मन आवारा हमें कह रहे थे
हम ने सोचा ‘आज का दिन ही बच निकलो’
बस हमें बचा लेना दिन के उजालो
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