जब सोंप दी नैया डोर
फिर क्यों मचाना है शोर?
गुरु दी किरपा हमपर घनी
जीवन तो है एक बेहता पानी। जब सोंप दी नैया डोर
जान की फिकर तो वो करे
जिनका मन चक्कर की तरह फिरे
मेंरी फिकर तो मारा गुरु महाराज करे
बस मेतो चाहूं संसार मेरा सफल रहे। जब सोंप दी नैया डोर
मैंने कभी नहीं सोचा
गुरु करेंगे वोही अच्छा
हमारा फिकर करना वाजीब नहीं
जो है नसीब में वोही मिले सही। जब सोंप दी नैया डोर
हमने कभी नहीं मांगा अपने आप से
जो भी मिला अपनाया प्यार से
उनकी किरपा की सदैव कल्पना की
मत्था टेका और दुआए जरुर मांगी। जब सोंप दी नैया डोर
कर लेना कुबूल हमारी पुकार
हम है यहाँ असहाय और निराधार
आपकी किरपा के बिना कुछ सम्भव नहीं
मिल जाय सहारा तो असम्भव कुछ भी नहीं। जब सोंप दी नैया डोर
इतनी किरपा सदैव रखना ‘
आप के दर्शन देते रहना
हम अनपढ़ आप के सदा अभिलाषी
रखनी किरपा हमपर और बनाना मितभाषी। जब सोंप दी नैया डोर
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