ख्याल बुरा नहीं था
अपनी इच्छाओं को में दबा सकता नहीं
जो सामने आता है उसको बुला सकता नहीं
फिर भी दिल मचलता रहता है किसी के लिए
दो शब्द उस के लिए कहता हूँ में इस लिए.
सपना तो मेरा भी था
और दिल में भरा उमंग था
हवा का झोंका आते ही मन ख़ुशी से झूम उठा
तेरी आहटसे ही दिल मेरा डगमगाने लगा
पाने का जज्बा तो पहलेसे ही था
पर इन्तजार किसी ओर का था
वो जाने क्या सोच रही थी?
पर मन अपना जरूर बना रही थी
मे उसके पहलु में बंधना चाहता था
यही मेरा सपना और अरमान भी था
में उसकी कदमपेशी कर सकता था
और अपना हाल कह सकता था
ना जाने कितने बिचार मन में आ गए
फिर भी हम कुछ ना कर पाये
एक और कुआँ था तो दूसरी तरफ खाई
में सोच नहीं सका ‘प्यार क़ी ये लगन कहाँ से आइ ‘
पर आगदोनों तरफ से थी
आंखमिचौली वो भी कर लेती थी
मन मेरा मचल जाता था मिलन के लिए
ख्याल बुरा नहीं था मन को मनाने के लिए
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