असलियत क्या है?
दिल तो दिल है उसे मिला दीजिये
कुछ भी हो जाए फिर भी मना ना कीजिये
दिल ने चाहा तो फिर मंजिल मिल ही जायेगी
हाथ में हाथ होगा तो सफ़र कट ही जायेगी
आसमान से तारा टूट सकता है
पर दिल से दिल तो जुड़ सकता है
मिलन का कोई बहाना नहीं होता हैं
मिलना होता है तो मिलन हो ही जाता है
बसंत के आते ही फूल खिल जाते है
रंग बिरंगी होकर रंग बिखेर जाते है
उनकी महक का कोई अंदाजा नहीं होता
कोई करले लाख माना पर दिल नहीं मानता
में क्यों इन्तजार करू पतझड़ के आने का?
बहार साथ में है तो गम क्यों रखूँ बिछड़ने का?
उसने कह दिया वो मेरे लिए काफी है
बाकी पुरे जग को मेंरी और से माफ़ी है
बारिश के आने कि दस्तक हो चुकी है आज
धरती भी ओढ़ के सजी है उसके काज
मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है
अब बता दो आप ही की असलियत क्या है?
कहीं गिर ना जाऊ कोई जवाब ना पाकर
ख़ुशी के मारे पागल हो जाऊ सुनकर
ये तो बताओ क्या है दिल में तुम्हारे
हम तो सजा चुके है सिर्फ ख्वाब हमारे!
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