अरसिक ही रहे
हमारा दिल कभी नहीं मचला
बस वो तो बेफिक्र होकर चला
ना किसी का भय और नाही किसी का डर
वो तो रहा हरदम नीडर।
किसी ने हमारी सूरत पे निगाह नहीं डाली
हमने भी की नहीं हरकत बचकानी
दिल को सलामत रखा अपने बस में
कभी नहीं होने दिया बेबस राह में।
दिल में चाह जरूर थी
मन्नत भी मानी थी
पर चाहकर भी कुछ नसीब नहीं हुआ
हमारा सपना कभी सच नहीं हुआ।
हमारी आँखे कभी चकाचोंग नहीं हुई
किसी पे निगाहें पड़ने के बाद भी विचलित नहीं हुई
पर अब लग रहा है, ऐसा क्यों नहीं हुआ?
प्यार का बहाव हमारी ओर क्यों नहीं आया?
निगाहें तो जरूर उठी होगी
हमारी और आकर्षित भी हुई होगी
दिल में आहे भरकर निराश भी हुई होगी
पर हम ठहरे अकेली जान, बात मालुम नहीं हुई होगी।
उन्होंने खूब कोसा होगा दिल से
पर नहीं हो पाया मेल किसी से
क्या करे हम निर्मोही ही रहे
धड़कन तो रही पर अरसिक ही रहे।
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