वचन का एहसास हुआ
तू आज मुजको याद आती रही
सपनो में सारी रात सताती रही
में उठ उठ के सितारे गिनते रहा
फिर भी भुलाये ना होते रहा।
आज ऐसा क्या था मेरी सोच में?
में न कह पाउँगा सच में
तेरी याद पटलपर उभरी रही
तेरी छबि साफ़ और सुथरी रही।
मैंने क्या पाया तेरी याद में?
मैंने क्या क्या याद रखा संवाद में?
हर शब्द मुझे जबानी याद है
पर ना राव और फ़रियाद है।
ये क्या हो रहा है?
कर्ण में शेहनाई क्यों बज रही है?
ये मधुर आवाजे कहाँ से आ रही है?
उसकी सहेलियों के मधुर कंठ मुखे क्यों स्पर्श कर रहे है?
मेरी भूल ही गया आजके बारे में?
आज तो सभी व्यस्त है हमारी तैयारी में
में थोड़ी सी जपकी ले गया thaa दिन में
वरना बहुत कुछ करना अभी baki है तैयारी में।
मैंने कह रखा है उसे
ना रहना आज रुलांसे
टपकाना शहद और मधुरता अपने चेहरे से
बिल्कुल साफ़ हो जाए शर्मिंदगी मुखडे से
आज मेरी एक न चलेगी
उसकी बरात ना रुकेगी
वो अपने बाबुल का घर छोड़ चलेगी
सखियों को पीछे रोते रोते छोड़कर बीदा लेगी
आज मुझे त्याग और बलिदान का घ्यान हुआ
मेरे अहंकार भरे दिल में ज्योत का प्रजवलन हुआ
‘नारी जीवन इसे तो कहते है’इसका आभास हुआ
में ना करूंगा दुखी’ इस वचन का एहसास हुआ
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