बदलते रहेंगे रिश्ते
गुरु ज्ञानी
हम अज्ञानी
बात ना समजी
और दिखाई नासमझी।
वंदन करना
और ना पूछना!
सिर्फ आँख में रखना
जो हे कहना।
ना दिखाना नाराजगी
यदि हो जाए चूक करने में बंदगी
बस पूछ लो सही ‘मुझे क्या करना है प्रभु ‘?
वो जानते है तुम्हारी दुविधा क्योकि है स्वयंभू।
जो दिख रहा है वो छद्म है
प्रभू तो सामने खड़े पद्म है
तुम्हारे कदम क्यों डीग रहे है?
वो खुद ही तो तुम्हारे सारथि बने है।
करना है संहार अपनों का
जो संहारी बने है अपने सपनों का
वो नहीं रुकने वाले अपने मंसूबों में
तुम ही कर सकतो हो भरोसा अपने बाणों में।
बनके रह जाएगा एक इतिहास पन्नो में
महाभारत कहलायेगा सही मानों में
लोग पढेंगे ओर समझेंगे कुछ ज्ञान के वास्ते
सही मिसाल मिलेगी जब बदलते रहेंगे रिश्ते।
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