जाग जायेगा देश jaag jaayegaa
क्या बुढा और क्या जवान?
जब आ जाए हाथ में देश की कमान
करना है सब का सन्मान
बस सब नागरिक रहे सभान।
सब को चाहिए गाली देने का अधिकार
बाकी सब बातें है बेकार
जहाँ जिस का चल गाया
वहां उसने अपना सिक्का चला दिया।
एक बाबू के घर में पूरी चांदी बर्तन
ये कैसा है वर्तन?
दूसरा रूम पूरा नोटों से लदा हुआ
क्या उसे खाना नहीं मिल रहा?
हम यही करते करते बूढ़े हो गए
अपने पाप खुद ही ढोते गए
मेरी तो अच्छी खासी कमाई है
और ऊपर से पेंशन भी आ रही है?
सत्तर सालों से हम सब गरीब है
पछात है, कमजोर है और आदिवासी है
जाती में हमने सबको बाँटने दिया है
अपने भाइयों को नजरों के सामने काटने दिया है।
ना चलेगा आगे से ये सब!
गरीब त्रस्त, गृहिणी बेताब
क्या करें और क्या ना करें?
हर चीज़ पहुँच से बाहर, अब क्या सोचे?
देश में हर चीज़ की कमी
सभी को चाहिए 15 लाख खाते में अभी
सब मुफ्त में दे दो और ना पूछे क्यों है देश बेहाल
हम सब खिंच रहे है उसके चिर और कर रहे कंगाल।
जवान मर रहा सरहद पर
बाकी खा रहे मलाई घरपर
थोड़े दिन लाइन में खड़ा रहना क्या मुसीबत आ गयी?
क्या इतने मुफ़लिस थे हम की मौत ही आ गयी?
अजगर पूरा निगल गया देश के अर्थतंत्र को
अब सब रो रहे अपने सजाग तंत्र को
बस ना करेने दो कोई काम
कर लो वाह वाही अपने नाम!
क्या यही है लोकशाही?
मर्जी आये बोल दो, कोई पूछने वाला नहीं
क्यों नहीं है फांसी का प्रावधान?
यदि कोई करता है आबरू का हनन?
सब बड़बोले, अपने आपको नेता कहे, घूम रहे
बोलने की तमीज़ नहीं और महेंगी गाड़ी में सवार रहे
अरे कोई क्यों नहीं पूछता है ये सब कहाँ से आया?
पहले तो चप्पल पहननेकी हैसियत नहीं थी आज इतनी काबिलियत और अकस्यामत कहाँ से आ गयी?
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