जहाँ हम ‘खुदा ‘ को आवाज दे दे
हम इन्सानी लिबास मे भेड़िया है
एहसान फरामोश और बेहया है
इसी मिसाल कहीं नहीं मिलेगी
जिसक़ा खाती उसी का ही खोदती है।
बेसुमार दाखले मिल जायेंगे इतिहास के पन्नो पर
दुनिया में हम आए ही है मानो इस मकसद को लेकर
पशु भी खाने के बाद मुंडी हिला देते है
पर हम तो लूट लेने के बाद मार ही देते है।.
हम ने मान लिया वो ही खुदा है
बाकी सब लाशें जिंदा है
उनको चल ने फीरने का कोई हक़ नहीं
“मान ले या जीना छोड़ दे” यहीं एक रास्ता है।
ये फलसुफा हमारी धरोहर है
भयानक और रिश्तों से पर है
‘सूरज का उगना या डूबना ‘ कोई मायने नहीं
हम को भले ही कोई ‘शैतान’ कह दे कही।
हम मक्कार है और नहीं सुधरेंगे
लोग तो कहते है और कहते रहेंगे
हम है तो जहाँ है और भगवान कुछ भी नहीं
हम से लोग है हम लोगो से नही।
हाथ धो दिए भगवान ने इंसान बनाकर
वो जाना तो गया बलवान और कलाकार
पर आज कोई नहीं सुनता पुकार
इंसान के सामने सब हो गया है बेकार।
हम ने मान लिया वो ही खुदा है
बाकी सब लाशें जिंदा है
उनको चल ने फीरने का कोई हक़ नहीं
जल्दी से इस बात को समझ ले शक की कोई गुंजाइश नहीं
मा ओर बहन का कोई फर्क नहीं
जिंदा नर्क पाया है हम ने यहीं
कोई तो हमें वो जगा दिखा दे
जहाँ हम ‘खुदा ‘ को आवाज दे दे
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