इतने बेबस भी नही
उस पल का इन्तेजार रहता है
जब दिल का तार जुड़ता है
एक गुदगुदी सी बदन में होती है
बस कोई गलती चयन में नहीं दिखती है।
बस एक दिल ही तो अपना है
बाकी सब नाम का है
रिश्ते नाते तो ठीक है
पर दिल बिलकुल बेबाक है।
कोई तो लिखा होगा मेरे किस्मत में
जो सम्हाल लेगा हिम्मत से
में भी चली जाउंगी सबकुछ छोड़छाड़ कर
सब देखते रह जाएंगे वाह वाह कहकर।
कई आए मनचले दिल पर कब्जा जमाने
कई वादे किए और प्रलोभन दिए लुभावने
मैंने सब को चलता कर दिया ये कहकर
‘सोचकर बताउंगी उत्तर दिया हंसकर’
मुझे याद आयी उस पहाड़ की चोटी की
जो बर्फाच्छादित है और शान है घाटी की
कितने उत्तुंग दीखते है ये शिखर
अपने आप में बेखबर बेखबर और प्रखर।
मुझे भी मिलेगा अपना साथी जीवनभर
मै भी सोचती रहूंगी दिनभर
खेर! जिंदगी पर किसीका बस नहीं
पर हम इतने बेबस भी नही।
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