अरमान मेरा दिल में ये सदा रहा
चांदनी तुझे में कैसे कहु?
बिन बताये भी कैसे रहू?
तेरी चांदनी मुझे दाह दे रही है
धड़कन बढ़ा रही है और ‘आह’: करवा रही है
तेरे सरीखी भी थी एक नाजनीन
उडा ले गयी नींद और सब ले गयी छीन
कहाँ और कैसे करू छानबीन
जीना हो गया मुश्किल उसके बिन
महीने में एक बार तो मुंह दिखा जाती थी
जब भी आती, मुस्कुराकर आती थी
वो पल आज भी मुझे याद है
बस उसीकी तो फ़रियाद है
तू तो प्रेम का प्रतिक है
वो वो मेरा अतीत था तू मेरा आज है
ना ले मेरा इम्तेहान इस जहां में
भटका हूँ तेरे लिए कहाँ कहाँ में
तू ही तो मेरा आदर्श है जगत मे
तेरा स्पर्श ही बेनमून है संगत में
सब ढूंढ़ रहे है अपना प्यार तेरी शीतलता में
में क्यों मरे जा रहा हु विवशता में?
आज के बाद में कभी देख नहीं पाउंगा
बस तू नहीं मिली तो धरती छोड़ जाऊँगा
पर क्या करू ऐसा में कर नहीं सकता?
तेरी याद मन से मिटा कर क्या करता?
सपना ही सही पर मधुरा है
जीवन का सुख भी अधूरा है
मिलेंगे जरुर ये मेरा वादा रहा
अरमान दिल में मेरे ये सदा रहा
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