अंदरूनी भावना
यदि मन में चाह है
तो निश्चय ही राह है
साँसे जब तक चले
क्योंना हम खुशी से जी ले?
जिंदगी तो हमार्री है
दुनिया भी हमार्री
उसूल हमारे
विचार हमारे।
मन ही कहेगा
मन ही सुनेगा
दिल अपनों हामी भर ही देगा
जीवन ख़ुशी से काट ही जाएगा।
उतना ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं
हम एहसानमंद ना सही
पर भरोसेवाले है सही
चंलेंगे हम हमारी मर्जी से ही।
मर्जी भी कैसी?
दूसरों के दुखों को अपना ले ऐसी
उनकी सुखाकारी के लिए मन से प्रार्थना
उनके वजूद को मानना अपना।
नहीं होता कोई अपना पराया
मिल तो जाते है सब यहाँ वहां
पता नहीं कहाँ से रिश्ते बंध जाते है?
जो कल तक अनजाने थे आज अपने कहलाते है।
कइयों का साथ खूब भाता है
कुछ का तो जाना ही रुलाता है
यही हमारा मानव स्वभाव है
अंदरूनी भावना और शांत हावभाव है।
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